UP: महिला जज ने CJI को लिखा ओपन लेटर, यौन उत्पीड़न का लगाया आरोप

By: Shilpa Fri, 15 Dec 2023 4:09:41

UP: महिला जज ने CJI को लिखा ओपन लेटर, यौन उत्पीड़न का लगाया आरोप

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के बांदा की महिला जज ने अपने सीनियर पर एक पत्र लिखकर गंभीर आरोप लगाए हैं। यह चिट्ठी वायरल हो चुकी है और इस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान भी ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। गुरुवार की देर रात भारत के मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेट्री जनरल को इलाहाबाद हाईकोर्ट से इस मामले में स्टेट्स रिपोर्ट मांगने को कहा। दरअसल, महिला जज ने मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है। महिला जज ने पत्र में जिला जज द्वारा यौन उत्पीड़न करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने पत्र में यह लिखा है कि जिला जज उन्हें रात में बुलाते हैं।

सीजेआई ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्टेट्स रिपोर्ट मांगा

गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से शुक्रवार की दोपहर तक स्टेट्स रिपोर्ट भेजने को कहा है। हालांकि महिला जज द्वारा लिखे गए खुले पत्र का इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी संज्ञान ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 13 दिसंबर को इस मामले में दायर की गई याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अंदरूनी कमेटी इस मामले के बारे में पड़ताल कर रही है तो इसमें दखलअंदाजी करने का कोई मतलब नहीं नजर आता है।

महिला जज ने क्या लगाया आरोप?

बांदा की महिला जज ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ को लिखे पत्र में इच्छामृत्यु की मांग की है। महिला जज का आरोप है कि बाराबंकी में तैनाती के दौरान जिला जज उन्हें रात में मिलने को बुलाते थे और उनका शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करते थे। महिला जज ने पत्र में यह भी लिखा है कि उन्होंने इस बारे में कई बार शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई और अब तंग होकर उसने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है।

पत्र में उन्होंने लिखा, “मेरे साथ सार्वजनिक रूप से डायस पर दुर्व्यवहार किया गया”

दो पन्नों के पत्र में उन्होंने लिखा, मैं बहुत उत्साह और विश्वास के साथ न्यायिक सेवा में शामिल हुई थी। मुझे लगा था कि मैं आम लोगों को न्याय दिलाऊंगी। मुझे क्या पता था कि मैं जिस भी दरवाजे पर जाऊंगी, जल्द ही मुझे न्याय के लिए भिखारी बना दिया जाएगा। मेरी सेवा के थोड़े से समय में मुझे खुले दरबार में मंच पर दुर्व्यवहार सहने का दुर्लभ सम्मान मिला है।

'उनके साथ बहुत बुरा और हद दर्जे का बर्ताव किया गया'

गुरुवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे अपने पत्र में उन्होंने लिखा, “मेरा यौन उत्पीड़न हद दर्जे तक किया गया है। मेरे साथ बिल्कुल कूड़े जैसा व्यवहार किया गया है। मैं एक अवांछित कीट की तरह महसूस करती हूं। और मुझे दूसरों को न्याय दिलाने की आशा थी।”

महिला जज ने कहा, मुझे रात में सीनियर से मिलने के लिए कहा गया

उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरी शिकायतों और बयान को मूलभूत सत्य के रूप में लिया जाएगा। मैं बस निष्पक्ष जांच की कामना करती थी।” उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें रात में अपने सीनियर से मिलने के लिए कहा गया था। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने आत्महत्या करके जान देने की कोशिश की थी, लेकिन “प्रयास सफल नहीं हुआ।”

उन्होंने सीजेआई को लिखा “मुझे अब जीने की कोई इच्छा नहीं है। पिछले डेढ़ साल में मुझे चलती-फिरती लाश बना दिया गया है। इस निष्प्राण और निर्जीव शरीर को अब इधर-उधर ढोने का कोई प्रयोजन नहीं है। मेरी जिंदगी का कोई मकसद नहीं बचा है। कृपया मुझे अपना जीवन सम्मानजनक तरीके से खत्म करने की अनुमति दें। मेरी जिंदगी खारिज कर दी जाए।”

उन्होंने “भारत में कामकाजी महिलाओं” से “सिस्टम के खिलाफ लड़ने” का प्रयास न करने को कहा। “अगर कोई महिला सोचती है कि आप सिस्टम के खिलाफ लड़ेंगी। मैं आपको बता दूं, मैं नहीं कर सकी। और मैं जज हूं। मैं अपने लिए निष्पक्ष जांच कराने की भी हिम्मत नहीं जुटा सकी। न्याय तो दूर की बात है। मैं सभी महिलाओं को सलाह देती हूं कि वे खिलौना या निर्जीव वस्तु बनना सीखें।” बार-बार प्रयास करने के बावजूद न तो महिला न्यायाधीश और न ही उनके वरिष्ठ से संपर्क किया जा सका।

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